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Saturday, 11 November 2017

वो दिन भी क्या खूब था ।

थोड़ी सी कठिनाई,पर आँखों में जुनून था।
हौंसलो भरा रास्ता,वो दिन भी क्या खूब था।
अपनो संग रहना, सर्द गर्म सहना।
कितना उसमें सुकून था,वो दिन भी क्या खूब था।
मोटी-मोटी किताबें,बोरिंग सी थी क्लासें।
दोस्तों का वो हुजूम था,वो दिन भी क्या खूब था ।
सबसे मिलना -जुलना,सबके चेहरे खिलना।
थोड़ा सा भी न गुरूर था, वो दिन भी क्या खूब था।
रातभर जगना,बड़े ख्वाब बुनना।
ख्वाबों का क्या सुरूर था,वो दिन भी क्या खूब था।
मेरे जहन मेरे जज्बात, उसके अपने खूबसूरत थे ख्याल।
उन ख्यालों में नूर था,वो दिन सचमुच बड़ा खूब था।

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