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Friday, 17 November 2017

अधूरी बात

याद करो नौ बरस पहले की वो बात,
वो बात जो शायद पूरी न हो सकी आज तलक,
हाँ वही अधूरी बात।
हमने तुमसे क्या माँगा बस तुम्हारी खुशी,वो खुशी जो शायद हमसे तुमको नागवार लगी,
तो क्या हुआ कोई और सही,
आखिर तुम्हें वो खुशी तो मिली।
वो खुशी तुम्हारी नौ बरस का मेरे लिए इंतजार बनी,
ये भी सही,
पर शायद वो बात आज भी अधूरी रह गयी,
अधूरी ही सही,
चलो आज मेरी खामोशी से पूरा कर दें,
आज वो अधूरी बात,
बात वो जो सदियों का इंतजार लिए है,
बात वो जहाँ कोई शर्त नहीं,
बात वो जो किसी का मोहताज नहीं,
बात तेरे आइने में निहारती,
तुम्हारी शक्ल,
मेरी रूह मेरा मन, तेरी अदा ये चितवन,
चलो नौ बरस पहले की उस अधूरी बात को आज पूरी करें,
चलो आज तुम्हें तुम्हारी खुशियों की दुनिया में ले चलें,
याद करो नौ बरस पहले की वो बात।





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